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खेत में बकरी चरने का विवाद हिंसक,पिता-पुत्री की बेरहमी से पिटाई

रिपोर्ट मनीष श्रीवास्तव

जौनपुर। गौराबादशाहपुर थाना क्षेत्र के चोरसंड गांव में 23 मई 2025 शुक्रवार की शाम एक मामूली घटना ने हिंसक रूप ले लिया। खेत में बकरी चले जाने को लेकर शुरू हुए विवाद ने एक परिवार को असहनीय पीड़ा और गंभीर चोटों के साथ छोड़ दिया। घटना में पीड़ित पिता-पुत्री को दबंगों द्वारा बेरहमी से पीटा गया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।

घटना का विवरण

चोरसंड गांव निवासी महेंद्र गौतम (50 वर्ष), पुत्र स्व. बंसराज गौतम ने आरोप लगाया कि उनकी बकरी गलती से पट्टीदार सुरेंद्र के खेत में चली गई। इसके बाद सुरेंद्र और उनके तीन बेटों ने महेंद्र के घर आकर गाली-गलौज शुरू कर दी। महेंद्र के विरोध करने पर सुरेंद्र और उसके बेटों ने छह अन्य अज्ञात युवकों को बुला लिया। इन सभी ने मिलकर महेंद्र और उनकी शादीशुदा बेटी राधिका (पत्नी आनंद), जो बच्चों की छुट्टियों पर मायके आई हुई थी, को लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से पीटा।

इस हमले में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। परिवार के अन्य सदस्यों ने घायलों को तुरंत जौनपुर जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उनका इलाज चल रहा है।

पुलिस पर गंभीर आरोप

पीड़ित परिवार ने स्थानीय पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पुलिस दबंगों का साथ दे रही है और पीड़ितों की सुनवाई नहीं हो रही। न तो घायलों का डाक्टरी परीक्षण कराया गया और न ही घटना का मुकदमा दर्ज किया गया।

कानून व्यवस्था पर सवाल

इस घटना ने गौराबादशाहपुर में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब पुलिस की निष्क्रियता उजागर हुई है। इससे पहले भी बादल यादव और अनुराग यादव की घटनाओं में पुलिस का रवैया सवालों के घेरे में रहा।

गांव में तनाव का माहौल

घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने जल्द कदम नहीं उठाए तो यह विवाद और गहरा सकता है। घटना ने स्थानीय निवासियों के बीच डर का माहौल पैदा कर दिया है।

प्रशासन से न्याय की गुहार

पीड़ित परिवार ने प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और घायलों के लिए न्याय की मांग की है। स्थानीय समाजसेवियों और संगठनों ने भी इस घटना की निंदा की है और प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है।

यह घटना न केवल पीड़ित परिवार के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक चेतावनी है कि कानून का भय खत्म होता जा रहा है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और आमजन को न्याय दिलाने में कितना सक्षम साबित होता है।

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