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मेडिकल कालेज जौनपुर में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया गया।

*जौनपुर:* उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जौनपुर के प्रधानाचार्य प्रो० आर०बी० कमल के संरक्षण में डा० विनोद वर्मा, विभागाध्यक्ष, मानसिक रोग विभाग द्वारा दिनांक *10 अक्टूबर, 2025 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस* का आयोजन अस्पताल भवन के मानसिक रोग विभाग में बड़े हर्षोउल्लास के साथ किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधानाचार्य, प्रो० आर०बी० कमल ने अपने प्रेरणादायक उ‌द्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में जहाँ हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार के मानसिक दबाव से गुजर रहा है, वहाँ मानसिक संतुलन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक हो गया है। उन्होंने कहा कि ” *स्वस्थ मन ही स्वस्थ शरीर का आधार है* । यदि हमारा मन शांत, स्थिर और सकारात्मक रहेगा, तो हम किसी भी परिस्थिति का सामना साहसपूर्वक कर सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश दिया कि वे अपनी भावनाओं को दबाने के बजाय उन्हें अभिव्यक्त करें, ताकि मानसिक तनाव को दूर किया जा सके। उन्होंने यह भी कहाँ कि मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थानों में विद्यार्थियों पर अध्ययन का अत्यधिक दबाव रहता है, इसिलए सभी को अपने दिनचर्या में योग, ध्यान, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद को शामिल करना चाहिए।
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो० ए०ए० जाफरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानसिक स्वास्थ्य केवल डॉक्टरों या विद्यार्थियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर मरीज और उसके परिवार के लिए भी उत्तना ही महत्वपूर्ण है। उन्होनें कहा कि अस्पताल में आने वाला प्रत्येक मरीज केवल शारीरिक रोग से नहीं, बल्कि मानसिक चिंता और भय से भी गुजरता है। इसलिए हमारा कर्तव्य है कि हम उसे संवेदनशीलता, सहानुभूति और सकारात्मक व्यवहार से उपचार दें। मरीज के प्रति हमारा व्यवहार ही उसके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का पहला कदम हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टर और नर्से यदि मुस्कराकर मरीज से बात करें, उसकी बातो को ध्यान से सुनें और उसे विश्वास दिलाएँ कि वह सुरक्षित हाथों में है, तो उसका उपचार आधा पूरा हो जाता है। उन्होंने अपने उ‌द्बोधन के अन्त में कहा कि “मरीज का मनोबल ही उसकी सबसे बड़ी दवा है। यदि हम उसके मन को मजबूत बनाएँ, तो उपचार के परिणाम और भी बेहतर होंगे।”
डा० विनोद वर्मा, विनागाध्यक्ष, साइकेंट्री विभाग ने बताया कि हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष इसकी विषय वस्तु है “संकटो और आपदाओं के दौरान मानसिक स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सुनिश्चित करना है। डब्लू एच ओ के अनुसार हर 8 में से 1 व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से जूझ रहा है। भारत में लगभग 10.6 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित है। हाल के वर्षों में भारत में युवाओं और किशोरों में मानसिक रोगों की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अवसाद, चिंता और तनाव जैसी मानसिक स्थितियाँ युवाओ को गहराई से प्रभावित कर रही हैं। जिसके कारण आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, बेरोजगारी, पढ़ाई में असफलता, प्रतियोगी माहौल में दबाव, पारिवारिक अपेक्षाएँ और सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग युवाओं के मानसिक संतुलन को प्रभावित कर रहा है। कई युवा अपनी असफलता या निराशा से उबर नहीं पाते और चरम कदम उठा लेते हैं।
राहुल सिंह, सहायक आचार्य, मानसिक रोग विभाग ने बताया कि ज्यादातर लोगों में सामान्य मानसिक बीमारियां होती है जैसे अवसाद, चिंता, नींद की समस्या, लेकिन कुछ लोगो में गम्भीर मानसिक बीमारियाँ होती है जिसका यदि समय रहते इलाज कराया जाये तो बीमारी ठीक की जा सकती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद 6 से 8 घंटे लेनी चाहिए, संतुलित आहार शारीरिक व्यायाम करना चाहिए और अधिक समस्या होने पर मानसिक रोग चिकित्सक को सलाह लेनी चाहिए।
डा० ईशा दत्त पाण्डेय, सीनियर रेजिडेंट, मानसिक रोग विभाग ने मेंटल हेल्थ के विषय वस्तु के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि जब कोई प्राकृतिक आपदा, दुर्घटना, महामारी जैसी बात करते है अक्सर ध्यान शारीरिक, नुक्सान और आर्थिक हानि पर ज्यादा केंद्रित होता है जबकि मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाला असर अनदेखा रह जाता है। जो लोग इस तरह की आपदा का सामना करते है उन्हें आगे चलकर अवसाद, चिन्ता, नींद की समस्या से जूझना पड़ता है आज आवश्यकता इस बात की है कि हर व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुंच मिले आपदा आपालकाल में केवल राहत सामाग्री नही बल्कि मनोचिकित्सक परामर्श सेवा की प्राथमिकता दी जाये।
इस अवसर पर उप प्रधानाचार्य, प्रो० आशीष यादव, आउटसोर्स प्रभारी, प्रो० उमेश सरोज, चिकित्सा अधीक्षक, डा० विनोद कुमार, व चिकित्सा शिक्षक, डा० अचल सिंह, डा० हमजा अंसारी, डा० आदर्श यादव, डा० ममता, डा० नवीन, डा० बन्द्रभान, डा० रेनू कुमार, व अन्य चिकित्सक, नर्सिंग अधिकारी, कर्मचारी तथा छात्र/छात्राएं, मरीज व उनके तीमारदार उपस्थित रहें।

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