चेयरमैन अली ज़ैदी
शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड लखनऊ
अमीर ए शाम की साज़िशे अली वालो को मैदान छोड़ने पर मजबूर नहीं कर सकती।
एक बार फिर वक़्फ़ खोर चाहते है कि उनके लिए मैदान ख़ाली छोड़ दिया जाए। उसके लिए उनके द्वारा पैतरे और पैसा खर्च करना शुरू कर दिया गया है।



मौलाना कल्बे जवाद साहब की क़यादत में बोर्ड के भीतर फैले भ्रष्टाचार की लड़ाई 15 नवंबर 2021 को जीती गई जिसके लिए क़ौम ने बड़ी क़ुर्बानिये दी और एक शहादत भी। हमारे हुसैनी टाइगर्स के जवानों ने फ़र्ज़ी मुकदमे झेले, जेल काटी और सख़्तिया सही।
काम मुश्किल है ज़िम्मेदारी बड़ी है दशकों से बिगड़े निज़ाम को ठीक करने में समय लगता है लेकिन पूरी ईमानदारी से काम जारी है। इबादतगाहों का बेहतर संग्रक्षण और ज़ायरीन के लिए बेहतर इन्तज़ामात हमारी प्राथमिकता रही है जिसके कई उदाहरणर मौजूद है। बोर्ड और औकाफ़ की तरक़्क़ी आँखों और काग़ज़ों दोनों पर मौजूद है और जहाँ किसी वजह से मामलात सही नहीं हो पाए है उन्हें भी सही किया जाएगा।
जिन लोगों की वक़्फ़ खोरी से लाखो की कमाई पर रोक लग गई है वह बेचैन है उनकी बेचैनी जायज़ है हराम माल की आदत ही ऐसी है। आज इस पल भी हमे गिराने और बदनाम करने की साज़िशो में लगे है अफसोस कुछ हमारे जो हमसे फ़ायदा नहीं उठा पाए वह भी इसमें शामिल है।
खुली डिबेट के चैलेंज के साथ जिस दिन कोई हमारे क़लम से वक़्फ़ का नुक़सान साबित कर देगा हम इस ख़िदमत से किनारा कर लेंगे किसी दुनियावी मनसब पर क़ाबिज़ रहना मेरा मक़सद नहीं। इंसान होने के चलते गुनहगार ज़रूर हूँ लेकिन वक़्फ़ का नहीं! अल्लाह हो अकबर!