सैयद समीर हुसैन
मुंब्रा।
मुंब्रा के ऐतिहासिक दारुल फलाह गार्डन को बचाने की मुहिम एक बार फिर चर्चा में है।
3 वर्ष पहले गार्डन को ध्वस्त कर वहां कमर्शियल दुकानें बनाने की साजिश को दिवंगत समाजसेवक अहमद नेता ने नाकाम कर दिया था। उनके प्रयासों से तीन साल तक न तो गार्डन की जगह कोई गाला बना और न ही दुकानें।
अहमद नेता के निधन के बाद कुछ राजनीतिक दलों वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के साथ गठजोड़ कर भूमाफिया ने फिर से निर्माण की कोशिशें शुरू कर दीं। जैसे ही यह मामला चर्चा में आया, स्व. अहमद नेता की धर्मपत्नी और सुकून महिला सामाजिक संस्था की अध्यक्ष नाज़ गोलंदाज ने मैदान में उतरकर इन मंसूबों पर फिर से पानी फेर दिया।
79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर नाज़ गोलंदाज ने अपनी टीम के साथ गार्डन के पास झंडा रोहड़ किया। इस मौके पर मुंब्रा पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक अनिल शिंदे जी भी मौजूद रहे। अनिल शिंदे के हाथों गार्डन के पास वृक्षारोपण कर मुंब्रा वासियों को संदेश दिया गया—”जहां गार्डन था, वहीं गार्डन रहेगा।”
नाज़ गोलंदाज ने कहा, “मुंब्रा के बच्चों के लिए आज गार्डन नहीं है और हमें गार्डन चाहिए। इस अधूरी लड़ाई को हम अब पूरी करेंगे।” उन्होंने दावा किया कि इस अभियान में मुंब्रा की जनता भी उनके साथ खड़ी है।
हालांकि, पहले इस मुद्दे पर नाज़ गोलंदाज और अहमद नेता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले कुछ वरिष्ठ पत्रकारों पर हमला भी हो चुका है, ऐसे में अब देखने वाली बात होगी कि क्या विरोधी फिर से ऐसे हथकंडे अपनाएंगे। या सरकार की मदद से गार्डन का सपना साकार होगा। मुंब्रा के विभिन्न इलाकों में 15 अगस्त आजादी का दिन बड़े ही धूम धाम से बनाया गया।

